दरिन्दे को तो क़त्ल औ गारद की खबर चाहिए,
वो तेरा हो कि मेरा हो, उसे तो बस सर चाहिए |
साँपों को बस्ती में देख पूछ बैठा आने का सबब,
मुस्कराकर बोले आप लोगों से थोडा जहर चाहिए|
चाँद सितारों जैसे वादे, नहीं हैं उनके किसी काम के,
भूखों को रोटी और बेघरों को एक अदद घर चाहिए|
भले ही दूर तक निकल जाते हैं आबोदाने के लिए ,
लौट कर परिंदों को फिर वही अपना शजर चाहिए|
औरों के लिए जीने वाले कहाँ हैं अब, आ ढूंढें जरा
एक दो नहीं, इस तरह के हजारों बशर चाहिए|
पल दो पल का साथ अब देता नहीं सुकून-ए-दिल,
साथ उसका अब मुझे हर हाल में उम्र भर चहिये|
---------------------विशाल
बशर---------इंसान
शजर--------पेड़