Wednesday 3 April 2013


यूँ तो प्रत्येक व्यक्ति के लिए ख़ुशी के पैमाने अलग अलग होते हैं और उसके लिए ख़ुशी के कारण भी अलग अलग होते हैं। पर मुझे लगता है कि जितना आनंद, जितनी प्रसन्नता, जितना सुख प्रकृति के नजदीक मिलता है, किसी और बात में नहीं। चिड़ियों का फुदक फुदक कर आपके द्वारा डाले गए दाने खाना, चिड़िया द्वारा अपने छोटे छोटे बच्चों की चोंच में दाना डालना, गिलहरी का आपके पास पड़े किसी खाद्य पदार्थ को टुकर टुकर देखना, बिल्ली का अपनी चमकीली आँखों से आपको घूरना, किसी अलसाए कुत्ते का खटपट होने पर आपको जरा सा मुंह उठाकर देखना, पिल्लों का एक दुसरे के ऊपर उछल कूद करना और आपके द्वारा पुचकारने पर सबके सब का पूँछ हिला हिला कर आपके आगे पीछे घूमना, छोटे से बछड़े का अपनी माँ के इर्द गिर्द उछलना कूदना, बकरी के छौने का दौड़ भाग करना, बन्दर के छोटे छोटे बच्चों की शैतानियाँ, किसी छोटे बच्चे का अपनी माँ की गोद से आपकी और विस्मय से देखना, आपके मुस्कराने पर मुस्कराना और अपनी नन्हीं नन्हीं उँगलियों से आपकी उँगलियों को जकड लेना, किसी फूल का हवा में लहराना, किसी पौधे का हवा के साथ साथ झूमना, शाम को नदी किनारे बैठ लहरों के संगीत को सुनना और ऐसा भी बहुत कुछ और। इनसे ज्यादा सुकून किसी में नहीं और कहीं नहीं ।

- विशाल





















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