Wednesday 3 April 2013


हर व्यक्ति चाहता है कि उसे मिल जाये मोक्ष,
और छूट जाये उसका ये आने जाने का क्रम|
पर प्रभु सदा यही कहता है मेरा मन,
कि ना मुझे चाहिए मोक्ष ना अमरत्व|
बस मुझे तो दे दो तुम यही एक वर,
कि मैं बार बार आऊं इस धरा पर|
इसी के लिए जियूं इसी के लिए मरूं,
इसी पर अपना सर्वस्व न्योछावर करूँ|
प्रलय काल तक यही क्रम चलता रहे,
और मातृभूमि हेतु मेरा दम निकलता रहे|
बस यही मेरे जीवन की एकमात्र अभिलाषा है,
प्रभु ! तुम इसे पूरा करोगे यही आशा है|

-----------------विशाल

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